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Motivational blog |Positive raho

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 ये रास्ते भी पार हो जाएंगे ।  कभी-कभी सोचती हूं, उस वक्त के बारे में जब सपनों को हकीकत करने की शुरुआत की थी ।  ना रास्तों का पता था और ना मंजिल का,  ना ज्यादा सोर्सेस थे और ना परफेक्शन । यहां तक कि यह भी मालूम नहीं था कि अगले पल अगर कोई चैलेंज आ गया तो उसको फेस कैसे करेंगे, बस यह मालूम था कि सपनों को हकीकत करना है।   जिस दिन शुरुआत की उस दिन खुद पर यकीन था और कुछ नहीं । जैसे-जैसे आगे बढ़ती गई वैसे ही रास्ते मिलते गए ।  कुछ रास्ते खुद भी बनाएं और कुछ को पार करने के लिए अपनों का साथ मिला और रास्ते पार होते गए।  पर सफर अभी खत्म नहीं हुआ है ।  अभी सफर लंबा है । आज कहीं अगर अटक गए हो,  तो एक बार खुद पर पहले ही दिन की तरह फिर से यकीन दिखाओ । यह रास्ते भी पार हो ही जाएंगे ।। © कोमल कुमावत ✍️

स्वीकार किया....?

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स्वीकार किया ?  अरे! नहीं,नहीं !नेगेटिव बिल्कुल मत सोचो।  कभी हार - कभी जीत चलती रहती है , जिंदगी है परफेक्ट कभी नहीं होती ।  ऐसी बातें तो आपने भी बहुत सुनी होगी, पर क्या कभी सोचा है ?   भला कौन चाहेगा, खुद को नेगेटिव करना या नेगेटिव सोचना।   मुझे लगता है यह सब परिस्थितियां होती है , जो अगर सही लगे, तो पसंद आती हैं और हम उसे पॉजिटिविटी बना लेते है और सही ना लगे तो नापसंद होने के साथ हम उसे नेगेटिविटी का रूप दे देते हैं ।   जबकि उस वक्त जरूरत होती है उस नापसंद को स्वीकारते हुए कुछ ऐसे बदलाव करने की जिससे हम उसको पसंद करने लगे ।   पर हम हार तो तब जाते हैं जब स्वीकारने के बजाय जो हो गया उसकी शिकायत करने लगते हैं और जितने भी लोग जीवन के किसी मोड़ पर जीतते हैं वो इसीलिए जीत पाते हैं क्योंकि वह स्वीकार करते हैं नापसंद परिस्थितियों को और उनमें सुधार करते हैं ।   आप भी जरा नज़र डालिए अपनी जिंदगी पर शायद कुछ स्वीकार करने भर से जिंदगी बेहतरीन हो जाए !   धन्यवाद   कोमल कुमावत✍️

बेहतरीन से ओर बेहतर !

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 बेहतरीन से ओर बेहतर !   बेहतरीन को और बेहतर बनाना सिर्फ उसी काम को दोहराने से होता है । अक्सर हम जब एक ही काम को या बिजनेस को करने लगते हैं तो हम में एक ऐसी भावना आ जाती है एक पड़ाव के बाद, कि हमें लगने लगता है अब हम बिल्कुल परफेक्ट बन चुके हैं । और उस काम में फिर अपना ज्यादा वक्त या अपना ज्यादा दिमाग नहीं लगाते , क्योंकि उस काम की हमको आदत हो जाती है और वह काम आसानी से होने लगता है।  पर क्या उस काम में दिमाग ना लगाना आपको ओर सर्वश्रेष्ठ बनाऐगा?  इसका जवाब आपके पास है,  कि हम तब तक के लिए सर्वश्रेष्ठ बन सकते हैं उसमें, लेकिन जैसे-जैसे वक्त बढ़ता रहेगा हम श्रेष्ठता में पीछे होते रहेंगे। क्योंकि किसी भी काम में महारथ पाने के लिए उसका प्रयास हर रोज करना पड़ता है उतनी ही शक्ति के साथ जितनी शक्ति आपने पहले दिल लगाई थी। और अगर आप ऐसा नहीं करते हो, तो उसकी जानकारी तो आपके पास होगी पर आप उस में  महारथ हासिल नहीं कर पाएंगे । Appreciate your work you do and practice more.     धन्यवाद  कोमल कुमावत ✍️

उपलब्धियां !

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  उपलब्धियां !  तब होती है जब कर्मों के स्थान पर कुछ भी रिक्त ना किया जाए। जिंदगी के हर मोड़ पर आपको क्या करना है ,क्यों करना है और कैसे करना है?  इन प्रश्नों से होकर गुजरना होता है। आप चाहे सोच भी ले इन प्रश्नों के उत्तर, परंतु वह सत्य, सटीक और आपके कर्मों के लिए उचित होने ही चाहिए ।अन्यथा आपके कर्म आपकी उपलब्धियों में परिवर्तित नहीं होंगे । बेशक, सच है कि जैसा कर्म वैसा फल परंतु क्या यह सच नहीं  कि जितने कर्म उतने ही फल । आपके कर्मों कि माप, उपलब्धियों के पैमाने को हर पल बढ़ाती रहती है।  हो सकता है कि आज आपको वो पैमाना नजर ना आ रहा हो, परंतु एक दिन जरूर आपकी मेहनत आपको नजर आने लगती है।  पर जब मेहनत का रंग जिंदगी में नहीं दिख पाता तो अक्सर कमजोर व्यक्तित्व अपने कर्मों की माला पिरोना बंद कर देता है।  हालांकि  फल उनको भी मिलता है, पर जितने कर्म उतना ही।  याद रखिए ! जीवन में आपको जो महसूस हो रहा होता है, उससे कहीं बेहतर परिणाम आपको प्राप्त होते हैं।  बशर्ते आपके कर्म सटीक, स्पष्ट और उपलब्धियों के अनुसार होने चाहिए । धन्यवाद   कोमल कुमावत✍️

सफर पल रहा सबमें ही !

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 सफर पल रहा सबमें ही,  कभी शहर से गांव तक  कभी गांव से शहर  कभी अनजानो की गलियों में  कभी अपने रास्ते में  कोई किसी शख्स में है  कोई यूं ही व्यर्थ में है कोई चुपके से अर्श तक  कोई सच में पल तक भी नहीं   ठहरे ठहरे हैं भागदौड़ में कई  भीड़ में रुके हैं मंजर भी कई  कुछ पाने की चाह में है  जो है उसे ना खोने के डर में कई  किसी की छोटी मुस्कान सबकुछ  कहीं पर हंसी की गूंज में कुछ नहीं  कोई खुद से मिलता रहा  कोई इंतजार कर रहा है किसी का यहीं  कोई कर्म धर्म में खुश है  किसी को इनका अर्थ मालूम ही नहीं  कोई बहता बहता ताजा है  रुका होकर भी कोई बहता है यहीं  फिक्र एक शहर में है  शहर बदले, फिक्र किसी के पीछे पड़ी  कोई गाड़ी के इंतजार में है   पांव को गाड़ी बना फिर रहे हैं कई  बहानों की पोटली है कुछ के पास   कुछ आशाओं में पार कर रहे जिंदगी यहीं  कोई बैठा है ऊपर धीमे होकर भी श्रेष्ठ है कई  तेज धीमे सफर के ज्ञानी बैठे हैं कई  जो चलता सफर में रुक- रुक के  वह भी जीता है यहीं  जो बैठा रहे सफर के चलते  वह भी रहता है यहीं   कोई चलता हुआ सफर में है  कोई रुका हुआ सा सफर मे पर,  सफर पल रहा सबमें ही ! सफर पल रह

कुछ है बताने को...

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कुछ है बताने को...  कुछ है बताने को, कुछ नहीं भी बताना है  सब मायाजाल है, इससे बाहर आना है  संतोष जरा भी नहीं, हड़बड़ाहट ज्यादा है भागना है सबसे आगे, किसी को पीछे भी नहीं छोड़ना है, कुछ है बताने को, कुछ नहीं भी बताना है । टुकड़े फेंके झूठ के, किसी के मुंह लग जाए ऐसी कामना है , फिर हर शाम मिले तुम्हें पकवान, यह आखिर कैसी आराधना है ? अच्छी इच्छा चाहे जितनी, कुछ रहती है अधूरी भी ऐसा ही जीवन का कहना है , कुछ है बताने को, कुछ नहीं भी बताना है ।। धन्यवाद - कोमल कुमावत✍️

आज भी है।

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  आज भी है । पलटे हैं कुछ पन्ने अपनी किताब के , अब भी लिखा उसमें दर्द ही ह।   बदला है कुछ समय से मिजाज मैंने , शब्द तो दफने दिल में आज भी है।  हूँ कोई नौका या नाविक मैं,  बहना या बहा कर लाना फितरत में आज भी है । कुछ छोटे-छोटे ख्वाबों को बुनना , और सपनों को पाने की ललक आज भी है।  आंखों में आंसू और मन में दर्द , होठों को हंसने की कला रहती आज भी है । हाथ काँपते हैं झूठ लिखने से , पर झूठ से सजे बाजार सबके खास ही है । घड़ी के टिक-  टिक पर है सारा जहान,  फिर भी जीना या मरना आज का काश ही है । रुक  जाते हैं आंसू किनारे पर आकर,  फूटा सा लहरों का तूफान रूह में आज भी है।  जिंदगी की कड़ियों पर ताला जरा भी नहीं , और हर चीज पर जिंदगी में ताला आज भी है।  गूंज उठती है हवा में हंसी,  गम बिकता खामोशी में आज भी है।।  धन्यवाद  कोमल कुमावत✍️

बिना ख्वाब ,आखिर जिंदगी क्या है?

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बिना ख्वाब आखिर जिंदगी क्या है? सोचा नहीं अगर कभी , तो सोचो अभी।  हममें से कई लोग  पूरे दिन को ,यूं ही बता देते हैं एक दिनचर्या को निभाते - निभाते । वक्त तो हम सब के पास बहुत होता है, पर उसका इस्तेमाल हम पानी की तरह करते हैं, बह रहा होता है ,तो बस बहने देते हैं । और ऐसे वक्त को बहाते बहाते अंत में हमारे पास बचता है ,तो सिर्फ खोखली जिंदगी का नजारा ।  अगर हम सब अपने आप को बेहते वक्त में से कुछ वक्त दे, तो हमें मालूम  होगा उस सच का जिसको हम दिनचर्या ,जिम्मेदारी ऐसे नामों के बहाने बनाकर खुद से छुपाते रहते हैं।  और जब दूसरों से पहले खुद को आकंने की आदत हो जाएगी, तो बहानों की अलमारी में घुटते सपने सांस लेने लगेंगे । मैंने सुना है कि इंसान के रूप में जन्म करोड़ों जन्मों के बाद नसीब होता है ।  तो क्यों हम खाली जिंदगी को ख्वाब के बिना जिए जाते हैं ? क्यो ओर खूबसूरत बनाने  की मशकत्ते नहीं करते हैं ? क्यों हम खुद से सवाल नहीं करते?  और आखिर क्यों खुद के लिए एक कदम आगे नहीं बढ़ाते?  जितनी भी हिम्मत या हौसला हमे चाहिए होता है ना जिंदगी को रंगों से भरने के लिए,  वह हमारे पास होता है मन में । पर हम अ

सच से वास्ता...

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  •  सच से अगर वास्ता पड़ जाए,  तो फिर चाह कर भी आप झूठ में नहीं उलझ सकते।  कई बार होता है ऐसा जिंदगी में, कि आपने जितने भी कर्म किए हैं वह धूल की तरह उड़ जाते हैं।  ऐसा किसी एक या दो लोगों के साथ नहीं, बल्कि सबके साथ होता है।  कर्म धूल की तरह तब उड़ते हैं, जब आप अपने कर्मों को करने में थोड़ा भी असमर्थ हो जाते हैं।  सच तो यह भी है कि इंसान जब तक जिंदा है,  तब तक सांस लेना भी उसका कर्म ही है।  इस हिसाब से तो , जीवन के अंत समय तक इंसान  कर्मों में बंधा रहता   है । पर इन कर्मों को करने में मुश्किल तब आती है,  जब हम कर्म ठीक से ना कर पा रहे हो ।  एक उदाहरण के तौर पर समझाऊ तो कह सकते हैं, कि जब एक स्त्री घर की भागदौड़ अच्छे से संभाल रही होती है, तब तक उसके कर्मों का बखान पूरे परिवार, समाज ,नगर में होता है।  पर अगले ही क्षण वही स्त्री अगर किसी कारणवश बागडोर नहीं संभाल पाए, तो बिना कारण समझे उसके अपने ही उसके कर्मों का बखान गलत तरीकों से नगर में फैला देते हैं।  और सच यही है ,  कि जब तक आप अपने आसपास के लोगों की जरूरतें  पूरी करते रहोगे , तब तक आप उनके लिए हीरा हों,  पर किसी कारण से अगर जरूरते

जिंदगी - एक सवाल !

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  सवाल !  कहते हैं, अंधेरा चाहे कितना भी क्यों ना हो पर अगर तुम देखना चाहते हो, रास्तों पर चलना चाहते हो,  और बढ़ना चाहते हो आगे , तो सब कुछ खुद ब खुद दिखने लगता है ।  सुबह के अंधेरे से रात के अंधेरे तक न जाने कितने सवाल चलते हैं मन में ।  किसी के मन में कुछ पाने का, तो किसी के मन में जो है ,उसे ना खोने का।  कह सकते हैं कि जिंदगी कई सवालों के इर्द-गिर्द घूमती है ।  और उन सवालों के जवाब को ढूंढने के लिए हर इंसान रास्तों पर भटकता है ।  यूं तो हम बहुत सोचते हैं कि क्या पाना है और किस राह पर जाना है ,  पर क्या हम यह सोचते हैं कि क्यों और किस तरह जाना है । जिंदगी हमें सिर्फ एक सवाल देती है, और उससे जुड़े कई सवाल हमें खुद ढूंढने पड़ते हैं ।  और जो लोग इन सवालों को ढूंढ पाते हैं,  उनके लिए जिंदगी का सारांश खोजना बहुत आसान हो जाता है ।  पर हां!   यह सच है, कि इन सवालों को ढूंढने का समय हर कोई नहीं खर्च कर पाता, क्योंकि ये वक्त थोड़ा एकांत में और बोरिंग होता है ।  सवाल .....................!!!! एक ऐसी कड़ी है, जिससे सब डरते हैं और जिंदगी से जुड़े सवालों को तो लोग सुनना ही नहीं चाहते । खैर!  सव
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 एक नया संसार। संसार अब चिड़िया घर बन गया, टिकट लेने वाला पिंजरे में कैद हो गया। चहचाहती है चिड़िया अब यूँ, के मानो हर घर आसमां बन गया। टायरों के  तले दबकर, बिखरी थी जो घास पीली होकर, उन पर अब पशु- पक्षियों का डेरा हो गया, के मानो हर उजड़ा मैदान, हरी घास वाला कॉलोनी पार्क बन गया। घूमते हैं जानवर गलियों में अब , हॉर्न का डर अब खत्म सा हो गया, टहलता है अब गली में कुत्ता भी, के मानो अब वो यहां का शेर हो गया। ✍️ कोमल कुमावत।
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  अब इंसान,घर की कैद में है। अब कुछ दिन और इस आसमान पर राज पंछियों का होगा, नहीं टूटेगा कोई अरमान उनका, इंसान अब भी क्योंकि, घर की कैद में होगा। उड़ेगा पंछी जब भी ऊंचा , उसको प्रतीक कुछ नया सा होगा। क्योंकि पिंजरे में उनको बंद करने वाला अब भी घर में कैद होगा। अब कानों में उनके सिर्फ एक दूजे की ध्वनि गूंजेगी , नहीं होगें कोई लड़ाई दंगें क्योकि  ट्रैफिक जमा करने वाला इंसान, अब भी घर की कैद में होगा। बेबसी लाचारी की जिंदगी छोड़, अब अपने हक़ को जीने का फरमान होगा, रोक ना पायेगा इनको कोई, क्योंकि स्वार्थी प्राणी अब भी घर की कैद में होगा। अब धरती - गगन से इनकी बातें हजार होंगी, पृथ्वी भी खुलकर एक बार हंसेगी, कोई इनकी मेल की तस्वीरें नहीं खेंच पाएगा, क्योंकि झूठी तस्वीरें रचने वाला इंसान अभी घर की कैद में होगा। ✍️ कोमल कुमावत

बेखौफ जिंदगी

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बेखौफ जिंदगी बेखौफ जिंदगी और अनंत अरमान, यही बनाते हैं इंसान की पहचान ! अरमानों को हकीकत का सामना और सपनों में अपनों का साथ , बनाते हैं हौसले और जीने का अंदाज ! सुबह- शाम, दिन -रात ,पल में बीत जाते हैं , फिर नई उमंग के साथ नए दिन आ जाते हैं ! हो बेखबर खुद से कभी, तो खुद की खबर लगाने में बरसों बीत जाते हैं! क्या सुकून ,क्या बेचैनी , अब तो खुद से बात करने पर भी अपने रूठ जाते हैं! आजाद फि़जा सजा बन जाती है , जब कैदियों के झुंड में चिड़िया पल जाती है ! आशाओं का गला तब घोटना होता है, जब जिस्म में सांसों का दरिया ठहरने वाला होता है ! हवाओं की तरह बहकर हर मंजिल को अब छूना है , इसी जज्बात से अब गहरा नाता करना है! कुछ रुकेंगे तुम्हें, कुछ टोकेंगे तुम्हें ,कुछ तुम्हें मजबूर कर देंगे, याद बस इतना ही रखना है , कि बेख़ौफ जिंदगी और अनंत अरमान, यही बनाते हैं इंसान की पहचान! धन्यवाद Add caption RJ komal
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हौसलो से कामयाबी है !! अपने हौसलों को अभी आराम न दे, मौजों से खेलने का पैगाम तू दे उठ ! खुद का सामना तो कर औरो को देख, खुद को परिणाम ना दे ! जो तू चाहेगा, तुझे मिल जाएगा दिल से जीकर, दिल को आराम तो दे ! बह जाएगी कश्तियां सारी, अपने जज्बे किसी को किराए पर ना दे !! मंजिलों की अकड़ भी थम जाएगी, अपने सफर को तू आगाज तो दे! अभी तो लिखनी है जिंदगी सारी , अपने कर्म को तू, मौत का सामान ना दे !! आंखों में आग रख, आंसूओ से उनको आराम ना दे तुझमें बसती है ,ढेरों अच्छाइयां स्वयं को तू ,विराम ना दे ! अपने हौसलों को अभी आराम ना दे ! अपने हौसलों को अभी आराम ना दे!! कोमल कुमावत✒ http://mynewmeenumaa.blogspot.com/2017/10/blog-post_25.html?m=1  Unstoppable

एक बारी शुरुआत कर...!!

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एक बारी शुरुआत कर !! एक बारी तू याद कर , एक बारी फरियाद कर, चल पड़ेगा यह सफर तेरे संग से हो रूबरू जुबानों में लगाम लग जाएंगी, तेरी मंजिले करीब आ जाएगी तू शुरुआत कर! एतबार कर! हो खुद में तू खुदा, कर दे रोशन अपना सफर, महसूस कर इन हवाओं को, बहाता चल इन फिजाओं को, भरदे ताकत पत्थरों में, खुद को तू एक मोम कर, ए खुद के तू खुदा, एक बारी शुरुआत कर! दिन-रात सवाल कर, तेरे अस्तित्व की तलाश कर, जग तेरा हो जाएगा , एक बारी तो शुरुआत कर ! अपनी ताकत खुद में देख, ना किसी से आस कर, थाम खुद का हाथ मगर म, औरों का साथ पार  कर , यह रास्ते हैं तूफानों के?  इसको तू बाहार कर , खुद में हंसते गाते, इन सरगमों को सरताज कर, आंखों से जो कभी झलके नीर, नीर को अपनी कलम में भर, मिट जाएंगी रंजिशें सारी , चल पड़ेगा यह सफर  तू खुद की ताकत पर एक बारी विश्वास कर ठोकर खाकर गिरता जा, उठने का तू साहस रख ! नजरें फेर देख चारो और, इस दृश्य पर अपना काम कर, सीखता जा गलतियों से , पर गलतियां बारंबार कर ए खुद के तू खुदा, एक बारी शुरुआत कर खो दे सब कुछ चाहे तू, पर अपने आप से तू प्यार कर, रास्